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प्रधानमंत्री बना नहीं कि पाकिस्तान फिर से उठाएगा भीख का कटोरा, अब कर्ज चुकाने के लिए रगड़ेगा नाक…

गले तक कर्ज में डूबे पाकिस्तान ने कंगाली की हालत में आम चुनाव कराए। चुनाव के बाद अभी सरकार बनी नहीं कि पाकिस्तान के भावी प्रधानमंत्री एक बार फिर आईएमएफ की शरण में पहुंचने वाले हैं।

ब्लूमबर्ग न्यूज ने एक पाकिस्तानी अधिकारी के हवाले से गुरुवार को बताया कि पाकिस्तान की आने वाली सरकार अपना बकाया अरबों का कर्ज चुकाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से कम से कम 6 अरब डॉलर का नया कर्ज मांगने वाली है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान आईएमएफ के साथ इस फंड के लिए बातचीत करने चाहेगा। दोनों पक्षों के बीच यह बातचीत मार्च या अप्रैल में शुरू होने की उम्मीद है।  

पाकिस्तान पिछली गर्मियों में आईएमएफ के लोन की बदौलत डिफॉल्टर होने से बच गया, अब आईएमएफ का प्रोग्राम अगले महीने समाप्त हो रहा है।

पाकिस्तान डिफॉल्टर न हो जाए इसके लिए नई सरकार 350 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था को स्थिर रखने के लिए आईएमएफ के साथ फिर से संपर्क साधेगी।

बेलआउट से पहले पाकिस्तान को आईएमएफ की कई मांगों को अमल में लाना पड़ा और अपनी नीतियों में बदलाव करना पड़ा।

जिसके लिए पाकिस्तान को अपने बजट संशोधित करना पड़ा। इस कड़ी में लोन के ब्याज दर में बढ़ोतरी और बिजली और प्राकृतिक गैस की कीमतों में बढ़ोतरी शामिल थी।

पाकिस्तान में किसकी बनेगी सरकार?
पाकिस्तान के दो बड़े राजनीतिक दल पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) और पाकिस्तान मुस्लिम लीग -नवाज (पीएमएल-एन) के बीच आम चुनाव के बाद आखिरकार गठबंधन सरकार पर सहमति बनी गयी है।

पाकिस्तान में गत आठ फरवरी को हुए आम चुनाव में मतदाताओं ने पाकिस्तानी संसद के निचले सदन के लिए 266 उम्मीदवारों को चुना है।

ये लोग नये प्रधानमंत्री का चुनाव करेंगे और प्रांतीय असेंबली प्रांतीय प्रमुखों का चुनाव करेगीं।

जियो न्यूज’ ने बताया कि पीएमएल-एन के अध्यक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ दोनों दलों की समन्वयक समिति के मंगलवार को समझौते पर सहमत होने के बाद एक और कार्यकाल के लिए नामित होंगे।

जबकि पीपीपी के पूर्व अध्यक्ष आसिफ अली जरदारी राष्ट्रपति पद के लिए नामित होंगे।

सत्ता साझा करने के फार्मूले के अनुसार पीपीपी शहबाज शरीफ के मंत्रिमंडल का हिस्सा नहीं होगी लेकिन राष्ट्रपति कार्यालय सहित शीर्ष संवैधानिक पद प्राप्त कर सकती है।

पीपीपी को अन्य चीजों के अलावा विशेष रूप से, राष्ट्रपति पद, सीनेट का अध्यक्ष पद, बलूचिस्तान के मुख्यमंत्री और नेशनल असेंबली के उपाध्यक्ष के पद मिलेंगे, जबकि पीएमएल-एन को प्रधानमंत्री कार्यालय, नेशनल असेंबली अध्यक्ष का पद और विधानसभा, सिंध और बलूचिस्तान प्रांतों के लिए राज्यपालों को नामित करने का अधिकार मिलेगा।

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