Homeदेशमहाराज फिल्म पर बवाल, नेटफ्लिक्स का तर्क- पसंद आए ना आए, हम...

महाराज फिल्म पर बवाल, नेटफ्लिक्स का तर्क- पसंद आए ना आए, हम इतिहास को मिटा नहीं सकते…

नेटफ्लिक्स पर फिल्म “महाराज” की रिलीज को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है।

मंगलवार को गुजरात हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान नेटफ्लिक्स की तरफ से दिग्गज वकील मुकुल रोहतगी ने तर्क दिया है कि ऐतिहासिक अदालती फैसलों को दर्शाना, यहां तक ​​कि ब्रिटिश शासन के दौरान ब्रिटिश जजों के फैसलों को भी दर्शाना कानूनी इतिहास का एक जरूरी हिस्सा है। उन्होंने कहा है कि इसे सेंसर या मिटाया नहीं जा सकता है।

1862 के महाराज मानहानि केस का जिक्र करते हुए रोहतगी ने अदालत से कहा, “चाहे हमें वह फैसला पसंद हो या नहीं, हम कानूनी इतिहास को मिटा नहीं सकते। मामले का पूरी जानकारी इंटरनेट पर मौजूद है।”

उन्होंने तर्क दिया कि ब्रिटिश काल के इस फैसले में इस्तेमाल की गई भाषा पर याचिकाकर्ताओं की आपत्तियां हैं। लेकिन सिर्फ इस वजह से इस पर रोक नहीं लगाया जा सकता है।

रोहतगी ने भगत सिंह जैसे स्वतंत्रता सेनानियों का उदाहरण दिया, जिन्हें ब्रिटिश जजों के अदालती आदेशों के कारण फांसी दी गई थी। उन्होंने कहा, “हमें वे पसंद नहीं आ सकते, लेकिन वे फैसले हैं, वे इतिहास का हिस्सा हैं।”

मामले की सुनवाई गुजरात हाईकोर्ट में जस्टिस संगीता विशेन के सामने हुई। मुकुल रोहतगी ने ‘बैंडिट क्वीन’ मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया, जहां कोर्ट ने विवादास्पद दृश्यों के बावजूद कलात्मक स्वतंत्रता को बरकरार रखा था और सामाजिक वास्तविकताओं को दर्शाने में सिनेमा की भूमिका को स्वीकार किया था। 

क्या था पूरा मामला?

आमिर खान के बेटे जुनैद खान अभिनीत फिल्म ‘महाराज’ 1862 के महाराज मानहानि मामले पर आधारित है। इसमें तत्कालीन बॉम्बे सुप्रीम कोर्ट के ब्रिटिश न्यायाधीशों ने फैसला सुनाया था।

1860 के दशक में अपने अखबार में ‘महाराज’ की कुछ अनैतिक प्रथाओं को उजागर करने के बाद पत्रकार करसनदास मुलजी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा शुरू किया गया था। जदुनाथजी महाराज ने इस लेख पर आपत्ति जताई और मामले को अदालत में ले गए। मुलजी के खिलाफ 50,000 रुपये का मानहानि का मुकदमा दायर किया।

गुजरात उच्च न्यायालय मंगलवार को भगवान कृष्ण के भक्तों और वल्लभाचार्य यानी पुष्टिमार्ग संप्रदाय के अनुयायियों की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि फिल्म पब्लिक ऑर्डर को प्रभावित कर सकती है और संप्रदाय और हिंदू धर्म के लोगों के खिलाफ हिंसा भड़का सकती है।

याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि सुप्रीम कोर्ट के ब्रिटिश जजों द्वारा तय किए गए महाराज मानहानि मामले में हिंदू धर्म की निंदा की गई है और भगवान कृष्ण के साथ-साथ भक्ति गीतों और भजनों के खिलाफ ईशनिंदा वाली टिप्पणियां की गई हैं।

इस दौरान फिल्म की रिलीज के गुप्त तरीके के बारे में भी बात की गई। फिल्म को बिना किसी ट्रेलर या प्रमोशनल इवेंट के रिलीज किया जा रहा है।

आरोप है कि यह संभावित रूप से इसकी कहानी को छुपा रहा है। ‘महाराज’ की नेटफ्लिक्स पर रिलीज को कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। गुजरात हाईकोर्ट ने 13 जून को याचिका के बाद अगले दिन रिलीज होने से रोक लगा दी थी।

15 जून को, यशराज फिल्म्स (YRF), फिल्म के निर्माता और नेटफ्लिक्स ने रोक हटाने की गुहार लगाते हुए अदालत का रुख किया। अदालत ने मामले की सुनवाई 18 जून तय की थी। कोर्ट ने फिल्म की रिलीज पर रोक जारी रखी है और मामले में आगे की सुनवाई बुधवार को तय की गई है।

The post महाराज फिल्म पर बवाल, नेटफ्लिक्स का तर्क- पसंद आए ना आए, हम इतिहास को मिटा नहीं सकते… appeared first on .

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

हमसे जुड़ें

0FansLike
0FollowersFollow
0FollowersFollow
0SubscribersSubscribe